Yug Purush

Add To collaction

समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग - 7)

" पतवार.... पतवार...  पतवार... बोर हो चुका हूं मैं इस मूत भरे पानी मे पतवार चला चला कर... साला जिधर देखो पानी..  पानी... पानी.... वह भी खारा.. "

" फिर तो तुम्हें मार्टिन के मुर्दे आईलैंड में भेज देना चाहिए, वहां जमीन में दफन मुर्दे तेरा अच्छा टाइम पास करेंगे..."

" मुर्दा आईलैंड..? यह इंटरेस्टिंग टॉपिक लगता है.. इसके बारे में और बता तो . कुछ तो इस वीरान समंदर में टाइम पास होगा और भूख से ध्यान हटेगा.. "

"मुझे ज्यादा कुछ तो नहीं मालूम बस इतना सुना है कि.. कई साल पहले उस मुर्दे आईलैंड यानी डेथ आईलैंड~Death Island मे कई आदमियों को जिंदा दफनाया गया था.. साथ में समुंदर की शान कहे जाने वाले.. The Spiritual Ship~ मुर्दो के जहाज  को भी..."

" यह कौन सा जहाज है..? द स्पिरिचुअल शिप ..? साले, बीच समुन्दर मे बेकूफ़ बना रहा है मुझे ... पहले तो इस आइलैंड और इस जहाज के  बारे में कभी नहीं सुना..."

"कहा जाता है कि जब यह जहाज समुंदर में चलता था तो इसकी रक्षा.. समुंदर में मरे हुए लोगों की रूहे करती थी..."

"हा हा हा..क्या बकवास है.. दे ताली.. " आदित्य ने अपना हाथ राज की तरफ किया, जिसके बाद राज ने भी ताली देने के अपना हाथ उठाया...

"अबे हट... इतना चोमू समझा हूँ क्या मै... कि मुझे  तू कुछ भी बोलेगा और कैप्टन आदि उसे सच मान लेगा..."ऐन मौके पर अपना हाथ हटाते हुए आदित्य भड़क उठा... राज को गुस्सा तो आया पर उसने इसे जाहिर नहीं किया

" कुछ लोग इसे सच मानते हैं, तुम्हारा मानना या ना मानना... कोई फर्क नहीं पड़ता..." पतवार चलाते हुए राज अचानक से रुका,


उसके पीठ  में अचानक जलन शुरू हो गई थी और यह आज पहली बार नहीं हुआ था, उसके साथ यह घटना अक्सर हुआ करती थी. जब अचानक से उसका पीठ ऐसे जलने लगता जैसे किसी ने गर्म लोहे का सरिया उसके पीठ से छुआ दिया  हो..  वो इसे कोई दैवीय श्राप मानता था लेकिन साथ ही साथ इस श्राप से लड़ना भी उसने इतने सालो मे सीख लिया था.

"तुझे अचानक से क्या हुआ,.. चुतियो जैसी शक्ल  क्यों बना ली.. कुछ गड़बड़ है क्या..? कही तेरा पेट तो ख़राब नहीं है और तूने अपने कपडे मे ही... कर दिया हो...?? छी... आकककक.. थू..."

" नहीं सब ठीक है.. अब तुम पतवार चलाओ.". कहते हुए राज ने पतवार आदित्य की ओर फेक कर.. नाव मे अपनी पीठ रगड़ कर जलन को कम करने की कोशिश करने लगा

" बोल ना क्या प्रॉब्लम है.. तेरा चेहरा अचानक से लाल क्यों हो गया.. सच सच बता.. तूने अपना पैंट गन्दा कर दिया ना..  देख सच बता दे.. शरमा मत "


जिसके जवाब में कुछ ना बोलकर राज चुप चाप झटके से खड़ा हुआ और अपने कमर के ऊपर के पूरे कपड़े उतार कर कश्ती में एक किनारे फेका. राज ने एक बोतल खोलकर आदित्य को देते हुए बोला....

" जब मेरी पीठ से आग कि लपटे निकलने लगेंगी तो इसमें जो भी है, मेरे पीठ पर बने हुए निशान पर डाल देना..."

" बोतल में दारू है क्या.. पहले बताना था..  "बोतल सूंघते हुए आदित्य ने पूछा

राज ने अपनी पीठ आदित्य की तरफ की और आदित्य की तरफ पीठ करते ही उसके पीठ के निशान अचानक से जल उठे ..  यानी राज की पीठ का कुछ हिस्सा जलने लगा. राज दर्द से चिल्लाया और इधर आदित्य यही सोच रहा था कि इस बोतल में दारू है या कुछ और है..

"यययएई.... जल्दी.....  बोतल में जो भी है.. उड़ेल दो मेरी पीठ पर.."

तब आदित्य का ध्यान राज की जलती हुई पीठ पर गया और उसने तुरंत पूरी बोतल राज के पीठ पर उड़ेल दी. पूरी बोतल राज के पीठ मे उड़ेलने के बाद भभक उठी अग्नि धीरे -धीरे शांत होने लगे लगी. लेकिन राज नाव मे एक किनारे लेटा , दर्द से कराहता रहा.. जलन को सहता रहा. अंततः बोतल मे जो कुछ भी था.. उससे राज को  जब आराम मिला तो वो लम्बी -लम्बी साँसे भरते हुए एक किनारे लुढ़क गया...

" यह क्या था बे.... "आदित्य को अभी तक ये हजम नहीं हो रहा था की अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ.. वो क्यों हुआ, कैसे हुआ और किसलिए हुआ...

"मै ठीक हूँ..."

"साला, जबसे उन मनहूस ड्रैगंस को देखा है तब से ऐसी अजीब अजीब चीजें देखने को मिल रही है.. पहले आग उगलने वाले जहाज के बराबर पंछियो को देखा तो अब आग उगलने वाले एक इंसान को... आग  से नफरत हो गई है मुझे. मै भी अब चाइनीजो कि तरह बिना आग मे पकाये कच्चा मांस खाऊंगा... होने दो कोरोना "

" अब सब ठीक है, कप्तान..."

" यार तेरा अलग ही फंडा है..? एक तो तू बचपन में अचानक से उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया जहां तू ने अपना पूरा जीवन बिताया और अब बिना किसी डर के तू इस भयंकर समुंदर में मुझे लेकर आ गया और ऊपर से तेरे यह जलते हुए टैटू ... वैसे तेरे वो टैटू बड़े अजीब थे और डरावने भी... कहा से बनवाया...? मै भी सोच रहा हूँ कि यहाँ से यदि जिन्दा बाच गया तो टैटू बनवाऊंगा "


" जब मैं पैदा हुआ तब से यह निशान मेरे पीठ पर हैं..  और इसी निशान के चलते एक दिन कुछ लोग आए और मुझे, मेरी मां के साथ अधमरा  करके समुंदर के किनारे फेंक दिया,  जहा समुंदर ने हम दोनों को निगल लिया.. मेरी किस्मत अच्छी थी, लेकिन मेरी माँ... उनका कुछ पता नहीं चला. कभी -कभी रात मे तारो को देखते हुए सोचता हूँ उनके बारे मे.. उनकी शक्ल तक मुझे अब याद नहीं.. लेकिन उनका साया आज भी मैं महसूस कर सकता हूँ.. यदि वो जिन्दा रहती तो अवश्य ही मुझे मेरे श्राप के बारे मे कुछ बता सकती थी. पर अब... शायद ही मैं उनसे कभी मिल पाऊं... समुन्दर कि देवी उस दिन मुझपर मेहरबान थी, जो उसने मुझे बक्श दिया... "

"It's sad, man... तुम कैसे बाच गये...?"

"पता नहीं.. शायद इस श्राप ने ही मुझे बचा लिया... ताकि जिंदगी भर मुझे तड़पता हुआ देख सके. समुन्दर मे बहते हुए मै उस वीरान आईलैंड में पहुंच गया, जहा तुम कुछ दिन पहले पहुंचे थे. तभी से मैं अक्सर समंदर में बहकर आए हुए लोगों की मदद करता हूं... परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो, समुंदर उफान पर हो या फिर शांत हो, मैंने आज तक अपनी निगरानी में किसी को मरने नहीं दिया... और इसीलिए कुछ लोग जिनकी मैंने जान बचाई, वो मुझे समुन्दर का शिकारी भी कहते है ..."

"तेरी उस समुन्दर कि देवी.. जिसकी बात तू कर रहा था... उसको तूने देखा है क्या..."चहकते हुए आदित्य ने पूछा

"नहीं... क्यों..?"

"वो माल है क्या...? एकदम सेक्सी टाइप...? "
.
.
आसमान में बादल छाए हुए थे और मंद मंद चल रही समुद्री हवाओं ने मौसम सुहाना कर दिया था. बेलाडोना में मौजूद सभी लोग अपने कमरे से बाहर जहाज के डेक पर आ गए  ताकि वो इस सुनहरे मौसम का आनंद ले सके.  नायर को ढूंढने की रिया और सेठ की तमाम कोशिशें विफल रही, नायर के अचानक गायब होने से कुछ लोगो के अंदर डर  तो था पर वो इस सुहाने मौसम को.. किसी अनजान कप्तान के कारन जाया नही करना चाहते थे, इसलये जहाज के लगभग सभी लोग डेक पर सब तरफ फैल कर इस मौसम का लुत्फ़ ले रहे थे....


बेलाडोना मे काम करने वालो मे से कई विदेशी भी थी, वो भी शुद्ध बेवड़े किस्म के.. इसलिए उनके हाथों मे शराब की बोतल होना लाज़िमी था. रिया, अभी एक शाराबी  से बात कर रही थी, जिसने ये दावा किया था कि कैप्टन नायर को आखिरी बार उसी ने देखा था... कि तभी रॉन  की बोतल खाली हो गई.. उसने आस -पास देखा.. तो रिया जिससे बात कर रही थी, उसके आदमी के हाथ मे कैद शराब से भरी बोतल पर रॉन  की नज़र पड़ी.. जिसे लेने के लिए रॉन उसी तरफ बढ़ा....

"तु ऐसे, शराब की बेइज़्ज़ती नही कर सकता. या तो बात कर लो या फिर शराब पी लो... ला बोतल मुझे दे... " रॉन  ने उसके हाथ से एकदम अचानक से बोतल छिना , जिसके कारन वो आदमी रॉन को गुस्से से घूरने लगा...

"ऐसे क्या देख रहा है बे .. वापस नहीं दूंगा."

" रॉन प्लीज... अपनी ये वाहियात  हरकतें बंद करो... "चिढ कर रिया बोली..

" तुमने अपनी शक्ल ऐसी बना रखी है या हकीकत में तुम्हारी शक्ल इत्ती ख़राब है... "रिया के ऊपर शराब की बदबूदार डकार  मारते हुए रॉन ने कहा.... "मज़ा आ गया... मस्त दारू है..."

"ये क्या हरकत है...रॉन... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, मुझपर............ तुम हद से ज्यादा बढ़ रहे हो..."

"तुम जाओ, मै लड़कियों से लड़ाई नही करता...."


रिया, रॉन की इस हरकत का कड़ा जवाब देना चाहती थी... उसे यकीन नही हो रहा था की रॉन, जहाज के सभी लोगो के सामने उससे ऐसा बर्ताव करेगा, ऊपर से वहा मौजूद लोग रिया से अपना चेहरा छिपाये हँस भी रहे थे.. जिससे रिया और जल-भुन  गई... उसने अपनी हथेली रॉन को थप्पड़ मारने के लिए उठाया ही था की.... समुन्दर मे एक भयंकर आवाज़ गूंज उठी, जिसने बेलाडोना  मे मौज़ूद सभी लोगो की रूह तक को झकझोर कर रख दिया. सबकी नजर उस भयंकर गूँज की तरफ अपने आप ही चली गई...

" रॉन , यह आवाज कैसी है... "कांपते हुए रिया पूछी और अपना हाथ जो उसने रॉन को मारने के लिए उठाया था, उसे नीचे कर लिया

"तुम मुझे थप्पड़ मारने वाली थी क्या...?"

" रॉन, ये आवाज कैसी थी..."

"शायद तुम्हारी बकवास सुनकर, समुंदर भी चिल्लाने लगा..."
" यह मजाक करने का टाइम नहीं है रॉन .. इतनी भयंकर आवाज आई कहां से.. एक पल के लिए लगा जैसे भूकंप आ गया हो समुन्दर मे ..."

"ये उससे भी बुरा है... " वहा से लड़खड़ाते हुए कदमो के साथ रॉन जहाज के सबसे सामने वाले छोर पर आया और समुन्दर मे दूर उठ रही तेज लहरों को गौर से देखने लगा और बिना पीछे मुडे रिया से पूछा...


" वैसे, तुमने कभी ड्रैगनस देखा है.. जानेमन...? "रॉन मुस्कुराया

" नहीं...क्या कह रहे हो... "

" नहीं देखा..? नो प्रॉब्लम... फिर आज तुम्हारा लकी डे है.. आज देख लेना ड्रैगन्स को ... वो भी लाइव.."

इतना कहकर रॉन तुरंत जहाज के सबसे सामने नुकीले वाले भाग के रेलिंग पर देखते ही देखते कूद कर चढ़ गया और डेक पर मौजूद सभी लोगो का ध्यान ताली बजाकर अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला

". सब अंदर घुस जाओ रे और जान कि सलामती चाहिए हो तो जब तक बाहर आने के लिए ना कहु... कोई बाहर मत आना. वरना पेला जाओगे  और कोई जाकर मेरा बन्दूक लेकर आओ..... पर मुझे याद नहीं है की मैने अपनी बन्दूक रखी कहा है, बस इतना याद है कि कल रात उस अंग्रेजन को मै बन्दूक से करतब दिखा रहा था..."


रॉन  के इतना बोलते ही, वहां मौजूद सभी लोग जहाज के अंदर भागे.. समंदर में एकाएक विशाल धाराएं उठने लगी थी, जो इतनी विशाल थी कि बेलाडोना जैसे इतने बड़े जहाज तक को हिला दे रही थी. जहाज जिस दिशा में आगे बढ़ रहा था.. वहां धीरे -धीरे सामने कोहरा छाने लगा... कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था...


"यह साले अभी से पीछे पड़ गए.. मैंने सोचा था जब तक पैल्लोरा आइलैंड जब तक पार नहीं हो जाता तब तक तो शांत रहेंगे..."

"रॉन  क्या सोच रहे हो..? क्या बोल रहे हो..? यह समुंदर ने इतना विकराल रूप अचानक से कैसे ले लिया..? जबकि weather रिपोर्ट मे ऐसा कुछ भी नहीं था... प्लीज कुछ करो..."

"जानेमन, तुम अंदर जाओ ना...  अरे कोई मेरा बंदूक लाया क्या..? "

रॉन का इतना कहना ही था कि जहाज में काम करने वाला एक आदमी भागते हुए रॉन  के पास आया और एक भारी भरकम, 7 ft. लंबी बंदूक जिसे वह अपने दोनों हाथों से बड़ी मुश्किल से उठा पा रहा था, उसने वह बंदूक रॉन को  को दे दी... रॉन  ने  उस भारी बंदूक को तुरंत अपने एक हाथ से आसानी से उठा लिया, जिसके  बाद वहां मौजूद सभी लोग रॉन  के उस बंदूक को देखने लगे...


" नजर लगाओगे क्या, मेरी बंदूक पर.. सभी अंदर जाओ या फिर यहां रुक कर मरने का इंतजार करो... कप्तान सेठ, अपनी कप्तानी दिखाओ और सब को अंदर करो.. बाद मे जब जरूरत होगी तो मै खुद बुलाऊंगा... जहाज पर भीड़ देख कर ड्रैगन्स पागल हो जाते है "

Read My Other stories.....

1. 8th Semester !

2. Locket...

   17
8 Comments

Ammar khan

30-Nov-2021 12:04 PM

Good

Reply

Hayati ansari

29-Nov-2021 08:18 AM

Nice

Reply

Farhat

27-Nov-2021 12:45 AM

Good

Reply